Saturday, September 18, 2010

स्कूल कैब ड्राइवर ने 3 बच्चों से रेप किया-क्राइम-दिल्ली-दिल्ली-Navbharat Times

कैसे कोई इतनी हिम्मत कर जाता है.. शायद उसे पता है की उमूमन तो पता ही नहीं चलेगा.. और पता चल भी गया तो सालों लग जायेगें फैसला लेने में...  कितने भारत है एक भारत में... ये दिल्ली का हाल है.. जहां कम से कम पता तो चला... पुरे देश का क्या हाल होगा? 

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Friday, August 6, 2010

दादी को जिंदा खा गया पोता

राजस्थान पत्रिका की ये खबर.. हालाँकि घटना भारत की नहीं है पर फिर भी ये सोचने को विवश करती है..




कोई संवेदना नहीं...
ये ही तो कहीं खोई हुई राक्षश प्रजाति नहीं?





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Monday, July 26, 2010

कहाँ सुरक्षित है महिलायें/बच्चियाँ

आज सुबह से तीन समाचार देखे...

१. ये है भाषा (PTI) पर भरूच में भाई ने बहन के साथ किया दुष्कर्म
२. ये दूसरी डेट्सहिंदी पर गर्लफ्रेंड को बेहोश कर किया रेप, MMS बनाया
३. ये तीसरी खबर पत्रिका में बेटी ने पिता पर लगाया रेप का आरोप

एक गुजरात से, एक मध्यप्रदेश से और एक राजस्थान से..
एक भाई (?), एक मित्र(?) और एक पिता(?)

बताओ कहाँ सुरक्षित है महिलाएं/बच्चियाँ?
कहाँ है जो फेशन और कपड़ों को जिम्मेदार मानते है?

दरिंदे रंग, कपड़ा, रिश्ता और उम्र देखकर हमले नहीं करते..

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Thursday, July 22, 2010

कक्षा 2 के छात्र ने छात्रा का गला दबाया

दैनिक भास्कर की ये खबर..


छोटी सी बात के लिए एक बच्चे ने दूसरे का गला दबा दिया.. शुक्र है कोई हादसा नहीं हुआ और बच्चा ठीक है..

कहाँ से सिखते है बच्चे ये हिंसा?
परिवार में, समाज में या मीडिया में?

और भी जरुरी है गला दबाने वाले बच्चे को भी प्यार से समझाया जाए.. पर इतनी समझ है हम में?

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Wednesday, July 21, 2010

संसद, विधानसभा चौराहे पर हो....

भास्कर की ये खबर तो केवल उदाहरण है.....

ये हैं देश के हमारे ‘माननीय’ विधायक


पिछले १५ साल में एक भी संसद सत्र याद नहीं आता जो हंगामेदार न रहा हो... कोई भी राज्य हो, कोई भी पार्टी हो..  सदन की कार्यवाही चलने देना नहीं चहाती.. ऐसा लगता है की अगर सदन में कुछ हुआ तो सबकी पोल खुल जायेगी.. पक्ष विपक्ष सब इस जुगत में रहते है की कैसे हंगामा हो..

और जब हंगामा ही करना है तो क्यों सदन की ऐसी तैसी कर रहे है.. ये काम किसी चौराहे पर कर दो.. और सदन को किसी और काम लगा दो.. होटल बना दो... शोपिंग सेंटर बना दो.. कुछ तो काम आये....

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Tuesday, July 20, 2010

'मेरी बेटी से प्यार करते हो तो मर के दिखाओ'

कल नवभारत टाइम्स में ये खबर छपी...


'मेरी बेटी से प्यार करते हो तो मर के दिखाओ' 


किशोरों (teenagers) को समझने के लिए विशेष धेर्य और योग्यता की जरुरत है..  उनकी भावनाओं को ठेस पहुचाने का नतीजा कितना घातक होता है, ये समाचार पढ़ पता चलता है...

क्या हम उनके साथ बैठ बात नहीं कर सकते?
क्या उन्हें समझाना इतना मुश्किल है?
विपरीत लिगं से आकर्षण एक स्वाभिक प्रक्रिया है...  और ये होता रहेगा.. हमें धेर्य से इसे समझने और समझाने की जरुरत है बस...

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Monday, July 12, 2010

हद हो गई लापरवाही की....

एनडीटीवीखबर का ये समाचार...

थैलेसीमिया ग्रस्त बच्चों को चढ़ाया एचआईवी संक्रमित खून

हद है लापरवाही की... पश्चिमी राजस्थान में  बच्चों के सबसे  बड़े अस्पताल का ये हाल है...   पता नहीं दूसरे जगह क्या हाल होगा...

ये तो थेलिसिमिया पीडितों का मामला है.... पता नहीं कितने सामान्य लोग इस लापरवाही का शिकार हो गए... क्यों न इन लापरवाह कर्मचारियों को ताउम्र सलाखों के पीछे डाल दें...

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