Wednesday, July 21, 2010

संसद, विधानसभा चौराहे पर हो....

भास्कर की ये खबर तो केवल उदाहरण है.....

ये हैं देश के हमारे ‘माननीय’ विधायक


पिछले १५ साल में एक भी संसद सत्र याद नहीं आता जो हंगामेदार न रहा हो... कोई भी राज्य हो, कोई भी पार्टी हो..  सदन की कार्यवाही चलने देना नहीं चहाती.. ऐसा लगता है की अगर सदन में कुछ हुआ तो सबकी पोल खुल जायेगी.. पक्ष विपक्ष सब इस जुगत में रहते है की कैसे हंगामा हो..

और जब हंगामा ही करना है तो क्यों सदन की ऐसी तैसी कर रहे है.. ये काम किसी चौराहे पर कर दो.. और सदन को किसी और काम लगा दो.. होटल बना दो... शोपिंग सेंटर बना दो.. कुछ तो काम आये....

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युगान्तर

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